Rahul Gandhi in US : लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जब संयुक्त राज्य अमेरिका के दौरे पर पहुंचे तो उन्होंने वहां पहुंचकर भारत के केंद्रीय चुनाव आयोग (CEC) की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता के ऊपर सवाल खड़े कर दिए. राहुल गांधी के उन बयानों पर देश में तो आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल ही रहा है, लेकिन अब केंद्रीय चुनाव आयोग के सूत्रों से जो जानकारी निकल के सामने आई है, उसमें भी राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बताया गया कि ऐसा आरोप लगाकर वह न सिर्फ मतदाताओं को नहीं बल्कि अपने कार्यकर्ताओं का भी अनादर कर रहे हैं.

केंद्रीय चुनाव आयोग (CEC) के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, किसी की ओर से फैलाई गई कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि अपने स्वयं के राजनीतिक दल के नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों को भी बदनाम करती है और लाखों चुनाव कर्मचारियों को हतोत्साहित करती है, जो चुनावों के दौरान अथक और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं. मतदाताओं की ओर से किसी भी प्रतिकूल फैसले के बाद, यह कहकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है.

सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने जो भी बातें कही है, वह पूरी तरह से गुमराह करने वाली है. जिसे लेकर चुनाव आयोग की ओर से बिंदुवार जवाब दिया गया है.

केंद्रीय चुनाव आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक,

  • महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केंद्र पर 6,40,87,588 मतदाता पहुंचे और उन्होंने मतदान किया. औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख वोट डाले गए. इन औसत रुझानों के अनुसार, लगभग 1 करोड़ 16 लाख मतदाताओं ने अंतिम 2 घंटों में मतदान किया होगा. इसलिए, दो घंटों में मतदाताओं की ओर से 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान रुझानों से बहुत कम है.
  • प्रत्येक मतदान केंद्र पर उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों की ओर से औपचारिक रूप से नियुक्त मतदान एजेंटों के सामने मतदान आगे बढ़ा. कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (RO) और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई पुष्ट आरोप नहीं लगाया है.
  • महाराष्ट्र समेत भारत में मतदाता सूचियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती है. कानून के मुताबिक, चुनावों से ठीक पहले और/या हर साल एक बार मतदाता सूचियों में नए नाम जोड़ने घटाने का काम किया जाता है. मतदाता सूचियों की अंतिम प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) सहित सभी राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है.
  • महाराष्ट्र चुनावों के दौरान इन मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, 9,77,90,752 मतदाताओं के मुकाबले, जिलाधिकारी के सामने कुल 89 अपीलें ही दायर की गईं और जिलाधिकारी के उन फैसलों के खिलाफ राज्य चुनाव अधिकारी (CEO) के पास केवल 1 अपील ही दायर की गई. इसलिए यह पूरी तरह से साफहै कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के आयोजन से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की कोई शिकायत नहीं थी.
  • मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान, 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए, ERO की ओर से नियुक्त 97,325 बूथ स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों की ओर से 1,03,727 बूथ स्तर के एजेंट भी नियुक्त किए गए थे. जिनमें कांग्रेस की ओर से 27,099 बूथ एजेंट शामिल थे. इसी वजह से महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए ये निराधार आरोप कानून का अपमान है.

कांग्रेस के सवाल के जवाब केंद्रीय चुनाव आयोग के वेबसाइट पर मौजूद

सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर, 2024 को ही कांग्रेस की ओर से उठाए गए सवालों को जवाब देते हुए ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो केंद्रीय चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद है. 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारत में सभी चुनाव कानून के अनुसार होते हैं. भारत में जिस पैमाने और सटीकता के साथ चुनाव होते हैं, उसकी पूरी दुनिया में प्रशंसा होती है. पूरा देश जानता है कि मतदाता सूची तैयार करने, मतदान और मतगणना आदि सहित प्रत्येक चुनाव प्रक्रिया सरकारी कर्मचारियों की ओर से की जाती है और वह भी मतदान केंद्र से लेकर निर्वाचन क्षेत्र स्तर तक राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों की ओर से औपचारिक रूप से नियुक्त अधिकृत प्रतिनिधियों की मौजूदगी में की जाती है.


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